Shodashi - An Overview

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।

प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?

Upon going for walks in the direction of her historic sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her ability will increase in depth. Her templed is entered by descending down a dark narrow staircase having a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are numerous uneven and irregular actions. The subterranean vault is warm and humid and yet You will find a emotion of security and and security during the dim light.

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

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यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

The philosophical Proportions of Tripura Sundari extend further than her Bodily attributes. She represents the transformative power of magnificence, which might guide the devotee from the darkness of ignorance to The sunshine of knowledge and enlightenment.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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